ग्रहों की दृृष्टि का आपके जीवन पर प्रभाव-Grah Drishti apka jiwan badal sakti hai

ग्रहों की दृृष्टि का आपके जीवन पर प्रभाव

ग्रहों की दृृष्टि का आपके जीवन पर प्रभाव-Grah Drishti apka jiwan badal sakti hai

ग्रह दृष्टि का अर्थ उस स्थान से है, जिस पर ग्रह अपनी नजर डालते हैं। ग्रहों की दृष्टि मानव दृष्टि के समान होती है; जन्मपत्री में उपस्थित ग्रह केवल अपने स्थान पर ही प्रभाव नहीं डालते, बल्कि जहां उनकी दृष्टि जाती है, वहां भी उनका प्रभाव पड़ता है। इसका तात्पर्य यह है कि जब एक ग्रह किसी विशेष घर में होता है, तो वह अन्य घरों और वहां स्थित ग्रहों पर भी अपनी दृष्टि के माध्यम से प्रभाव डालता है।

शुभ ग्रहों की दृष्टि जिस ग्रह या भाव पर पड़ती है, वह उस ग्रह और भाव के सकारात्मक परिणामों को बढ़ाने में सहायक होती है। इस प्रकार, ग्रहों की दृष्टि का अध्ययन करना और समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जन्मपत्री के विभिन्न पहलुओं के प्रभाव को समझने में मदद करता है। ग्रहों की दृष्टि के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि किसी व्यक्ति के जीवन में कौन से क्षेत्र में सकारात्मकता या चुनौतियां आ सकती हैं।

जब अशुभ ग्रहों की दृष्टि किसी ग्रह या भाव पर पड़ती है, तो यह उनके सकारात्मक प्रभावों को कम कर देती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि एक शुभ ग्रह किसी पाप ग्रह को देखता है, तो पाप ग्रह का दुष्प्रभाव कम हो जाता है। इसके विपरीत, यदि एक पाप ग्रह किसी शुभ ग्रह को देखता है, तो शुभ ग्रह की सकारात्मकता में कमी आ जाती है। इस प्रकार, ग्रहों के बीच दृष्टि का संबंध उनके प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसलिए, ग्रहों की दृष्टि का अध्ययन करना और समझना ज्योतिष में अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल जन्मपत्री के विश्लेषण में सहायक होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में ग्रहों के प्रभाव को समझने में भी मदद करता है। ग्रहों की दृष्टि के माध्यम से, हम यह जान सकते हैं कि किस प्रकार के प्रभाव हमारे जीवन में आ सकते हैं और हमें किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

1. सभी ग्रह अपने से सातवें स्थान पर पूर्ण दृष्टि रखते हैं, लेकिन मंगल, बृहस्पति और शनि जैसे ग्रहों की दृष्टियां विशेष होती हैं। इन ग्रहों की विशेषता यह है कि ये केवल सातवें भाव पर ही नहीं, बल्कि अन्य भावों पर भी पूर्ण दृष्टि डालते हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता बढ़ जाती है।

2. मंगल ग्रह सातवें भाव के साथ-साथ चतुर्थ और अष्टम भाव पर भी पूर्ण दृष्टि रखता है। इसी प्रकार, बृहस्पति ग्रह सातवें भाव के साथ पंचम और नवम भाव पर भी अपनी दृष्टि डालता है। शनि ग्रह भी इसी तरह से सातवें भाव के साथ तीसरे और दसवें भाव पर पूर्ण दृष्टि रखता है, जिससे इन ग्रहों का प्रभाव और भी व्यापक हो जाता है।

3. राजयोग के संदर्भ में, विद्वान अक्सर पूर्व दृष्टि को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि पूर्ण दृष्टि के अलावा अन्य दृष्टियों का प्रभाव अनुपातिक ह्रास से युक्त होता है। इस प्रकार, ग्रहों की दृष्टियों का अध्ययन करते समय इन विशेषताओं को ध्यान में रखना आवश्यक है।

ग्रहों की सप्तम (पूर्ण) दृष्टि 

ग्रहों की दृष्टि का रहस्य एक जिज्ञासा का विषय है, विशेषकर जब हम शनि, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों की विशेषताओं पर ध्यान देते हैं। यह प्रश्न उठता है कि मंगल ग्रह सप्तम भाव के साथ-साथ चतुर्थ और अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से क्यों देखता है। इसी प्रकार, बृहस्पति की दृष्टि भी सप्तम भाव के साथ-साथ पंचम और नवम भाव पर केंद्रित होती है, जबकि शनिदेव की दृष्टि में सप्तम के अतिरिक्त तीसरी और दसवीं दृष्टि भी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

लक्ष्मी नारायण के अनुसार, मंगल ग्रह को सेनापति के रूप में देखा जाता है, जो अपनी पत्नी अर्थात् सप्तम भाव के साथ-साथ चतुर्थ सुख भाव और अष्टम जीवनरक्षा भाव के प्रति भी उत्तरदायी होता है। इस कारण मंगल की दृष्टि इन तीनों भावों पर पूर्ण रूप से होती है। इसी प्रकार, बृहस्पति की दृष्टि भी पंचम विद्या भाव और नवम धर्म भाव पर केंद्रित होती है, जो उसके ज्ञान और धर्म के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता है।

शनिदेव की दृष्टि की विशेषता यह है कि वह केवल सप्तम भाव तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनकी तीसरी और दसवीं दृष्टि भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह दृष्टियां जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सहायक होती हैं और व्यक्ति के कर्मों के फल को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस प्रकार, ग्रहों की दृष्टि का अध्ययन हमें उनके प्रभाव और कार्यों को समझने में मदद करता है।
 

lakshmi narayan

Lakshmi Narayan is a famous astrologer of Durg/Bhilai, he is the perfective of Shani Dev and solves the problems of the people with the power of his knowledge and sadhana. Astrology is a spiritual practice which is a science related to God and spirituality, astrology is incomplete without spiritual practice. Lakshmi Narayan solves the problems of astrology only based on 'Sadhana'.

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